राज्य लोक सेवा आयोग के बारे में विस्तृत जानकारी
भारतीय संविधान में भाग 14 में, अनुच्छेद -315 से लेकर 323 तक केन्द्र तथा राज्यों में कुशल सेवकों की भर्ती के लिए राज्य लोक सेवा आयोग का उपबंध किया गया है। जिसे अंग्रेजी में RPSC कहते हैं जिसका पूरा नाम rajasthan public service commission.
1935 के भारत शासन अधिनियम के अन्तर्गत प्रांतों में राज्य लोक सेवा आयोग का उपबंध किया गया था।
राजस्थान में 2 अगस्त 1949 को जयपुर में राज्य लोक सेवा आयोग की स्थापना की गई जिसके प्रथम अध्यक्ष S.K. घोष बने परन्तु 1956 में गठित सत्यनारायण राव की समिति की अनुशंसा पर RPSC का स्थानांतरण अजमेर कर दिया गया।
अनुच्छेद – 315 के अन्तर्गत अनुच्छेद केन्द्र में संघ लोक सेवा आयोग तथा प्रत्येक राज्य में राज्य लोक सेवा आयोग का उपबंध किया गया है अर्थात् SPSC एक संवैधानिक निकाय है। जिसका वर्णन भारतीय संविधान में वर्णित है।
राजस्थान लोक सेवा आयोग की संरचना
RPSC में वर्तमान में 1 अध्यक्ष ओ 7 सदस्य तथा उनकी सेवा शर्तों को निर्धारित करने की शक्ति अनुच्छेद 318 के अन्तर्गत उसे राज्यपाल को प्रदान की गई है।
नियुक्त :- अनुच्छेद 316 के अन्तर्गत राजस्थान पब्लिक सर्विस कमीशन (RPSC) के अध्यक्ष तथा सदस्यों की नियुक्ति राज्य मंत्रिपरिषद के परामर्श पर राज्यपाल के द्वारा की जाती है।
योग्यता :- आधे सदस्यों के पास 10 वर्ष के भारत सरकार अथवा राज्य सरकार के सरकारी कार्यों का अनुभव होना चाहिए तथा शेष आधे सदस्यों की योग्यताओं को लेकर संविधान मौन है।
कार्यकाल – राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यों का कार्यकाल 06/62 वर्ष की आयु जो भी पहले हो तक निर्धारित किया गया है तथा इनकी दुबारा पुनर्नियुक्ति नहीं की जाएगी ( मूल संविधान में राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यों का कार्यकाल 60 वर्ष निर्धारित किया तथा परन्तु 41 वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 के माध्यम से इसे बढ़ाकर 62 वर्ष कर दिया गया।
त्याग पत्र – राजस्थान पब्लिक सर्विस कमीशन के अध्यक्ष और सदस्य राजस्थान के राज्यपाल को सौंपते हैं।
निलंबन – RPSC के अध्यक्ष और सदस्यों का निलंबन राज्यपाल द्वारा किया जाता है। जबकि हटाया राष्ट्रपति द्वारा जाता है।
पद से हटाना – RPSC (Rajasthan public service commission) के अध्यक्ष तथा सदस्यों को कदाचार के आधार पर अनुच्छेद 317 के अन्तर्गत राष्ट्रपति के आदेश के माध्यम से पद से हटाया जा सकेगा जिसकी जांच उच्चतम न्यायालय के द्वारा की जाएगी तथा उच्चतम न्यायालय की अनुशंसा राष्ट्रपति के लिए बाध्यकारी होगी।
प्रतिबंध – अनुच्छेद 319 के अन्तर्गत यह प्रावधान किया गया है कि राजस्थान लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष किसी अन्य राज्य के सिविल सेवा आयोग का अध्यक्ष, संघ लोक सेवा आयोग का सदस्य अथवा अध्यक्ष के पद को धारण कर सकेंगे तथा इसके अलावा वह भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन किसी भी पद को धारण नहीं करेगा।
RPSC के सदस्य तथा अध्यक्ष के रूप में, किसी अन्य राज्य लोक सेवा आयोग में अध्यक्ष के रूप में कार्यभार कर सकते हैं।
संघ पब्लिक सर्विस कमीशन में सदस्य या अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया जा सकेगा परन्तु इसके अलावा वह भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन किसी भी पद को धारण नहीं करेगा।
राजस्थान पब्लिक सर्विस कमीशन के प्रमुख कार्य –
अनुच्छेद 320 के अन्तर्गत राजस्थान पब्लिक सर्विस कमीशन के कार्य एवं शक्तियों का उल्लेख किया गया है तथा इनका मुख्य कार्य राज्य में सिविल सेवाओं में भर्ती के लिए परीक्षाओं का संचालन करना, राज्य सरकार को सिविल सेवाओं में भर्ती की पद्धति एवं पदोनती के नियमों को बनाना , किसी भी कर्मचारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही को लेकर परामर्श प्रदान करना है।
भारत में राज्य स्तर पर सरकार की सबसे बड़ी संस्था मानी जाती है जो उस राज्य की सिविल सेवाओं और अन्य महत्वपूर्ण परीक्षाओं का आयोजन करवाती है। तथा यह संस्था स्टेट सिविल सेवाओं के अधिकारों के प्रमोशन के संबंध में परामर्श प्रदान करता है जिससे यह अधिकारी प्रमोशन के माध्यम से भारतीय सिविल सेवाओं में प्रवेश कर सके और भारत सिविल सेवा में कार्य करने का मौका मिलता है।
ऊपर बताई गई राज्य लोक सेवा आयोग के बारे में जानकारी आपको कैसी लगी हमें काॅमेंट बाक्स में जरूर बताएं।