विशेषण की परिभाषा ,भेद, उदाहरण और वाक्यों में प्रयोग

विशेषण की परिभाषा ,भेद, उदाहरण और वाक्यों में प्रयोग 

विशेषण की परिभाषा – विशेषण वह शब्द है, जो संज्ञा व सर्वनाम की विशेषता बताता है जैसे

  • काली गाय अधिक दूध देती है।
  • योग्य व्यक्ति सदैव आदर के पात्र होते हैं।
  • कुछ लोग यहां आ रहे हैं।
  • दो बच्चे खेल रहे हैं।
  • विशेषण की परिभाषा ,भेद, उदाहरण और वाक्यों में प्रयोग

उपर्युक्त वाक्यों में काली, अधिक, योग्यविशेषण क्रमशः गाय, दूध, व्यक्ति संज्ञाओं की विशेषता बताते हैं। इसी प्रकार कुछ एवं दो भी लोगबच्चों के विशेषण हैं।

विशेषण और विशेष्य – जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता प्रकट करते हैं, वे विशेषण कहलाते हैं और जिन संज्ञाओं या सर्वनाम की विशेषता प्रकट की जाती है, वे शब्द विशेष्य कहलाते हैं।

वाक्य में स्थान के आधार पर विशेषण के भेद – 

  • उद्देश्य विशेषण – विशेष्य से पूर्व प्रयुक्त होने वाले उद्देश्य विशेषण या विशेष्य विशेषण कहते हैं जैसे –

* गायिका के मधुर स्वर ने सभी का मन मोह लिया।

* मुझे मीठी चटनी पसंद है।

उपर्युक्त वाक्यों में प्रयुक्त शब्द मधुर, मीठी विशेषण स्वर, चटनी संज्ञा विशेष्यों के पहले लग रहे हैं, इसलिए ये विशेष्य विशेषण हैं।

  • विधेय विशेषण –

वाक्य में जब विशेषण विशेष्य शब्द के बाद, क्रिया के पूरक के रूप में प्रयुक्त होते हैं तो उन्हें विधेय – विशेषण कहते हैं जैसे-

  • वह बच्चा सुंदर है।
  • यह व्यक्ति ईमानदार है।

इन उदाहरणों में सुंदर और ईमानदार विशेषण शब्द विशेष्य – बच्चा, व्यक्ति, वाक्य के विधेय पक्ष का हिस्सा बनने से विधेय -‌विशेषण है। इन विशेषणों से क्रिया का अर्थ स्पष्ट  हो रहा है, इसलिए ये क्रिया के पूरक हैं किंतु विशेषता बच्चा और व्यक्ति संज्ञाओं की ही बता रहे हैं। इस प्रकार ये विशेषण क्रिया का अंग होने के कारण विधेय विशेषण हैं।

विशेषण के भेद – संज्ञा की विशेषता के प्रकार के आधार पर विशेषण के चार भेद माने गए हैं –

(i) गुणवाचक

(ii) संख्यावाचक

(iii) परिमाणवाचक

(iv) सार्वनामिक/संकेतवाचक

(i) गुणवाचक :- जो विशेषण संज्ञा या सर्वनाम के गुण – आकार , रंग, दशा, काल, स्थान आदि का बोध कराते हैं,  उन्हें गुणवाचक विशेषण कहते हैं जैसे –

गुण/दोष – अच्छा, बुरा, सरल, कुटिल, ईमानदार, सच्चा, बेईमान, झूठा, दानवीर, शिष्ट, दयालु, कृपालु, कंजूस इत्यादि।

आकार – लंबा, छोटा, चौड़ा, चौकोर, तिकोना, गोल, बड़ा, ठिगना, नाटा, ऊंचा, नीचा, अंडाकार इत्यादि।

रंग के आधार पर – काला, पीला, नीला, सफेद, गुलाबी, हरा, सुनहरा, चमकीला, आसमानी, आदि।

स्वाद – खट्टा, मीठा, कड़वा, नमकीन, कसैला, तीता आदि।

स्पर्श – कठोर, नरम, खुरदरा, कोमल, चिकना, गर्म आदि।

गंध – सुगंधित, दुर्गंधपूर्ण, बदबूदार, खुशनुमा,सोंधा, गंधहीन।

दिशा – उतरी, पूर्वी, पश्चिमी, दक्षिणी, आश्चात्य , भीतरी, बाहरी आदि।

काल – प्राचीन, नवीन, आधुनिक, भावी, ऐतिहासिक, साप्ताहिक, मासिक, सुबह का भूला, नया, पुराना, ताजा आदि।

स्थान – ग्रामीण, भारतीय, रुसी, जापानी, बनारसी, देशी, विदेशी, बाहरी, तुर्की इत्यादि।

अवस्था – युवा, बूढ़ातरुण, प्रौढ़, मुग्धा, धीर, गंभीर, अधीर, सहनशील इत्यादि।

वाक्यों में कुछ उदाहरण –

(i) अधिक गर्म  दूध नहीं पीना चाहिए

(ii) आम मीठा  है।

(iii) संगमरमर चिकना  पत्थर है।

(iv) आंखों की ज्योति के लिए हरा  रंग अच्छा माना गया है।

उपर्युक्त वाक्यों में गर्म, मीठा, चिकना, हरा  गुणवाचक विशेषण हैं जो क्रमशः दूध की अवस्था, आम के स्वाद, पत्थर का स्पर्शबोध और रंग के गुण को व्यक्त कर रहे हैं।

ऊपर बताई गई  विशेषण की परिभाषा ,भेद, उदाहरण और वाक्यों में प्रयोग के बारे में जानकारी आपको कैसी लगी हमें काॅमेंट बाक्स में जरूर बताएं।

धन्यवाद।

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