guru nanak jayanti 2025 के बारे में जानकारी निम्नानुसार है।
गुरु नानक देव जी सिख धर्म के पहले गुरु और भारतीय इतिहास के महान संतों में से एक थे। उनका जन्म 15 अप्रैल 1469 को आज के पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के ननकाना साहिब (जो उस समय राय बनवाली के नाम से जाना जाता था) में हुआ था। उनके जीवन और उपदेशों ने न केवल भारतीय समाज को, बल्कि पूरी दुनिया को एक नई दिशा और दृष्टिकोण प्रदान किया ।
Guru nanak jayanti 2025
गुरु नानक देव जी के पिता जी का नाम मेहता कालू और माता का नाम तृप्ता था। उनका बचपन से ही आध्यात्मिक और दार्शनिक दृष्टिकोण से जुड़ाव रहा है। वे बचपन से ही सामाजिक असमानताओं, जातिवाद, और धार्मिक पाखंडों के हमेशा खिलाफ थे। गुरु नानक ने 30 वर्ष की आयु में अपने आप को मोह माया से दूर कर भक्ति का मार्ग अपनाया और उसके बाद संपूर्ण जीवन धर्म प्रचार में समर्पित कर दिया।
गुरु नानक जी ने 24 वर्षों तक यात्रा की। इन यात्राओं के दौरान उन्होंने भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, और मक्का-मदीना जैसे स्थानों का दौरा किया और प्रत्येक स्थान पर अपने उपदेशों से लोगों को जागरूक करने का काम किया। उन्होंने सिख धर्म की नींव डाली, जो एकता, सेवा, और सत्य के सिद्धांतों पर आधारित था।
गुरु नानक के कार्य
गुरु नानक जी ने न केवल धार्मिक विचारों को प्रस्तुत किया, बल्कि सामाजिक सुधार की दिशा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके द्वारा किए गए प्रमुख कार्यों में इस तरह हैं –
1. धार्मिक सुधार:
गुरु नानक ने जातिवाद, पाखंड, और धार्मिक तात्कालिकता के खिलाफ जोरदार आवाज उठाई। वे यह मानते थे कि सभी मनुष्य समान हैं और उन्हें जाति, धर्म या भाषा के आधार पर विभाजित नही किया जाना चाहिए। उन्होंने मंदिरों, मस्जिदों और अन्य धार्मिक स्थलों के बजाय लोगों से सच्ची भक्ति और ईश्वर के प्रति श्रद्धा की ओर ध्यान आकर्षित किया।
2. सिख धर्म की नींव रखना:
गुरु नानक ने सिख धर्म की स्थापना की, जो एक सार्वभौमिक धर्म था, जिसमे हर प्रकार के धार्मिक भेदभाव को नकारा गया। उन्होंने एक ईश्वर के सिद्धांत पर बल दिया और उसका नाम ‘एक ओंकार’ से लिया, जिसका अर्थ है “ईश्वर एक है।”
3. गुरु ग्रंथ साहिब की रचना:
गुरु नानक देव जी ने अपनी शिक्षाओं को पंजाबी भाषा में लिखा, जो बाद में गुरु ग्रंथ साहिब का हिस्सा बने। यह ग्रंथ आज भी सिख धर्म का मुख्य धार्मिक ग्रंथ है और इसमें गुरु नानक और अन्य सिख गुरुओं के उपदेश, भजनों और कविताओं का संग्रह है।
4. लंगर की शुरुआत:
गुरु नानक ने लंगर की प्रथा शुरू की, जिससे यह संदेश दिया गया कि समाज में सभी जातियों और वर्गों के लोगों को समान रूप से भोजन प्रदान करवाया जाए। लंगर का आयोजन सभी के लिए खुला होता होना चाहिए, जिससे उनके अनुयायियों में समाज सेवा, समानता, और भाईचारे का संदेश फैलता रहे।
गुरु नानक का व्यवहार
गुरु नानक देव जी का व्यवहार अत्यंत सरल, नम्र और दयालु था। वे हमेशा लोगों से सच्चाई और ईमानदारी की बात करते थे। उनका जीवन पूरी तरह से दूसरों की सेवा और उनके कल्याण के लिए समर्पित था। उनके व्यवहार में कोई घमंड या अहंकार नहीं था। वे लोगों से बातचीत करते समय कभी भी किसी को नीचा नहीं समझते थे और उनका दृष्टिकोण हमेशा समावेशी और सकारात्मक होता था।
गुरु नानक का दृष्टिकोण था कि धार्मिक आस्थाओं और अनुष्ठानों से अधिक महत्वपूर्ण है मानवता की सेवा। वे सच्चे गुरु और नेता थे, जो अपने अनुयायियों के साथ हमेशा समानता का व्यवहार करते थे और उन्हें भी यह शिक्षा देते थे कि वे जीवन में सच्चे और नेक कार्य करें।
गुरु नानक के संदेश:-
गुरु नानक के संदेश ने भारतीय समाज और दुनिया को एक नई दिशा दी। उनके प्रमुख संदेश निम्नलिखित थे:
1. ईश्वर एक है (एक ओंकार):
गुरु नानक देव जी का सबसे प्रमुख संदेश था कि ईश्वर एक है, और वह सभी जगह उपस्थित है। उनका विश्वास था कि भगवान को किसी विशेष रूप या नाम में नहीं बांधा जा सकता। “एक ओंकार” का अर्थ था कि ईश्वर की सत्ता अनंत है, और हर व्यक्ति को उसे समान रूप से स्वीकार करना चाहिए।
2. समानता और भाईचारा:
गुरु नानक ने समाज में सभी जातियों, धर्मों और वर्गों के बीच समानता का संदेश दिया। उनका मानना था कि कोई भी व्यक्ति जन्म, जाति, रंग या धर्म के आधार पर श्रेष्ठ या नीचा नहीं होता। वे हमेशा कहते थे कि सभी मनुष्य समान हैं और हमें एक-दूसरे के प्रति प्रेम और सम्मान का भाव रखना चाहिए।
3. सच्चाई, मेहनत और सेवा:
गुरु नानक का मानना था कि जीवन में सच्चाई का पालन करना सबसे महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, वे यह भी सिखाते थे कि हमें अपने पसीने की कमाई से जीवन यापन करना चाहिए और दूसरों की सेवा करनी चाहिए। उन्होंने अपने अनुयायियों से यह भी कहा कि हर व्यक्ति को अपने कर्मों से अच्छा बनना चाहिए और अपने इरादों में सच्चाई और ईमानदारी को बनाए रखना चाहिए।
4. धार्मिक अनुष्ठान से अधिक आंतरिक भक्ति:
गुरु नानक ने धार्मिक अनुष्ठानों, पूजा-पाठ और बाहरी दिखावे को महत्व नहीं दिया। उनका मानना था कि सच्ची भक्ति वही है जो दिल से की जाए। उन्होंने पूजा के रूप में सेवा और सच्चे दिल से ईश्वर का नाम जपने को महत्वपूर्ण बताया।
guru nanak jayanti 2025 के बारे में बताई गई जानकारी आपको कैसी लगी हमें काॅमेंट बाक्स में जरूर बताएं।
धन्यवाद।