macroeconomics and microeconomics

macroeconomics and microeconomics के बारे में विस्तृत जानकारी निम्नलिखित हैं तथा Macro economics and micro economics ये दोनों अर्थशास्त्र की शाखाएं हैं अर्थशास्त्र दो शब्दों से मिलकर बना है अर्थ+शास्त्र जिसमें अर्थ का मतलब है धन और शास्त्र का मतलब है विषय/अच्छा दस्तावेज। जिसका शाब्दिक अर्थ होता है कि ऐसा विषय जिसमें धन से संबंधित नियमों का अध्ययन किया जाता है और उन नियमों को अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में लागू किया जाता है उसे अर्थशास्त्र कहते हैं।

1.macro economics (मैक्रो इकोनॉमिक्स) जिसे हिन्दी में समष्टि अर्थशास्त्र कहते हैं जिसके अंतर्गत बड़े स्तर पर अर्थव्यवस्था के क्षेत्र का अध्ययन किया जाता है जैसे – राष्ट्रीय आय, बेरोजगारी, सकल घरेलू उत्पाद, मुद्रास्फीति किसी देश या राज्य का विकास इत्यादि विषयों का अध्ययन किया जाता है।

macroeconomics and microeconomics
macroeconomics and microeconomics

2. micro economics (माइक्रो इकोनोमिक्स) इसे हिन्दी में व्यष्टि अर्थशास्त्र कहते हैं जिसके अंतर्गत अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में एक इकाई या छोटे-से भाग का अध्ययन किया जाता है जैसे – प्रति व्यक्ति आय, स्थानीय स्तर पर बेरोजगारी, प्रति व्यक्ति शैक्षणिक स्थिति तथा एक गांव के लोगों का स्वास्थ्य रिकार्ड ,एक समूह के लोगों की बेरोजगारी  एवं स्थानीय स्तर पर किसी भी गांव या कस्बे इत्यादि क्षेत्र का अध्ययन किया जाता है और उसे अर्थशास्त्र के व्यष्टि विषय के अंतर्गत रखा जाता है।

समष्टि अर्थशास्त्र (Macro Economics) और व्यष्टि अर्थशास्त्र (micro economics) ये दोनों अर्थशास्त्र  की शाखाएं हैं अर्थशास्त्र विषय के अंतर्गत आर्थिक प्रणाली के रूप में इनका(व्यष्टि और समष्टि अर्थशास्त्र) अध्ययन किया जाता है, जिसमें:-

आर्थिक विकास – ऐसा विकास जिसका उद्देश्य आर्थिक गतिविधियों से जुड़ा हुआ हो, उसे आर्थिक विकास कहा जाता है।

मुद्रास्फीति – वर्तमान में वस्तुओं और सेवाओं के मूल्यों में सामान्य स्तर से ज्यादा वृद्धि होना मुद्रास्फीति कहलाता है।
बेरोजगारी – लोगों को रोजगार न मिलना ऐसे लोगो को बेरोजगार कहा जाता है और उन लोगों को रोजगार न मिलने की स्थिति बेरोजगारी कहलाती है। यानि – ऐसे लोग जिनकी आयु 15 वर्ष से ज्यादा और 59 वर्ष से कम है, और वे स्वस्थ और कार्य करने में सक्षम है तथा प्रचलित मजदूरी दर पर काम करना चाहते हैं  फिर उन्हें काम नहीं मिलता है तो ऐसे लोगों को बेरोज़गार कहा जाता है तथा उनकी स्थिति बेरोजगारी कहलाती है।

राष्ट्रीय आय –एक देश के‌ निवासियों द्वारा एक वित्तीय वर्ष में उनकी आय का कुल योग ही राष्ट्रीय आय कहलाती है लेकिन इनमें एक राष्ट्र के लोग विदेशों से जो आय प्राप्त करते हैं उन्हें इस राष्ट्र में काम कर रहे विदेशियों की आय को घटाया जाता है। फिर जो शेष आय बचती है उन्हें राष्ट्रीय आय कहते हैं।

यदि उस राष्ट्रीय आय में उस देश की जनसंख्या का भाग दे दिया जाता है तो हमें उस देश की प्रति व्यक्ति आय प्राप्त हो जाती है।

किसी भी देश के विकास का माप प्रति व्यक्ति आय निकाल कर ज्ञात किया जाता है ताकि विकास का माप सही और सटीक हो सके।

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार – एक देश का विश्व के एक या एक से अधिक देशों के साथ व्यापार करना अंतराष्ट्रीय व्यापार कहलाता है।

जैसे भारत और चीन के बीच व्यापार

संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस के बीच व्यापार।

समष्टि अर्थशास्त्र –

मैक्रो इकोनॉमिक्स(समष्टि अर्थशास्त्र) में आर्थिक नीतियों का अध्ययन या विश्लेषण किया जाता है, जैसे कि:

मौद्रिक नीति – भारत में मौद्रिक नीति का संचालन भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा किया जाता है जिसका प्राथमिक उद्देश्य  विकास के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता बनाए रखना है।
राजकोषीय नीति – राजकोषीय नीति यह भारत सरकार की राजस्व से संबंधित नीति (किसी देश की सरकार की नीति)है जो सरकार के पास रुपये आते हैं और सरकार उन रुपये को कल्याणकारी योजनाओं और अन्य मामलों में खर्च करती है उनका लेखा जोखा इस नीति के माध्यम से तय होता है इस प्रकार सरकार की नीति राजकोषीय नीति कहलाती है।
व्यापार नीति – व्यापार करने का तरीका या ढंग जिस विषय में लिखा हुआ होता है उसे व्यापार की नीति कहा जाता है। कोई भी व्यक्ति व्यापार करने से पहले एक नीति यानि योजना बनाता है ताकि वह व्यक्ति उस व्यापार में सफल हो सके।

व्यष्टि अर्थशास्त्र (Micro Economics)-

व्यष्टि अर्थशास्त्र (micro economics) के अन्तर्गत व्यक्तिगत आर्थिक इकाइयों का अध्ययन किया जाता है। जैसे कि- उपभोक्ता, उत्पादक, बाजार।

उपभोक्ता -जो व्यक्ति जिस भी वस्तु या सेवा का उपभोग करता है उसे उपभोक्ता कहा जाता है।

उत्पादक– किसी भी वस्तु या सेवा को पैदा करना या उनका निर्माण करना उत्पादन कहलाता है।

बाजार– ऐसा स्थान जहां वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान किया जाता है उसे बाजार कहा जाता है।

व्यष्टि अर्थशास्त्र (micro economics)- 

मांग और आपूर्ति – मांग और आपूर्ति का मतलब यह है कि अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में जिस भी वस्तु या सेवा की मांग में वृद्धि होती है उसे मांग कहते हैं और उस वस्तु या सेवा को जरूरत मंद व्यक्ति तक पहुंचाना आपूर्ति कहलाता है।

बाजार संरचना– ऐसा स्थान जहां वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान किया जाता है उसे बाजार कहते हैं।

उत्पादकता- जो व्यक्ति जिस भी वस्तु या सेवा का उत्पादन (पैदा) करता है उसे उत्पादक कहते हैं और जो उत्पादक जिस वस्तु या सेवा का उत्पादन जितनी मात्रा में करें उसे उस वस्तु या सेवा की उत्पादकता कहलाती है।

नोट – ऊपर बताई गई मांग, आपूर्ति, बाजार संरचना और उत्पादकता के बारे में जानकारी की गणना सिर्फ व्यक्तिगत/सूक्ष्म स्तर की  जाती है।

व्यष्टि अर्थशास्त्र (micro economics) और समष्टि अर्थशास्त्र (macro economics) में अंतर – 

  • समष्टि अर्थशास्त्र आर्थिक प्रणाली के समग्र अध्ययन पर केंद्रित है जबकि व्यष्टि अर्थशास्त्र व्यक्तिगत आर्थिक इकाइयों पर केंद्रित है।
  • समष्टि अर्थशास्त्र और व्यष्टि अर्थशास्त्र विषय एक दूसरे से जुड़ा हुआ है। तथा ये दोनों अर्थशास्त्र की शाखाएं हैं और उन दोनों शाखाओं का उपयोग किसी क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में किया जाता है।
  • संक्षेप में अंतर – समष्टि अर्थशास्त्र और व्यष्टि अर्थशास्त्र में अंतर सिर्फ इतना है कि समष्टि अर्थशास्त्र (macro economics) अर्थशास्त्र की बड़ी शाखा हैं जबकि व्यष्टि अर्थशास्त्र (macro economics) अर्थशास्त्र की छोटी शाखा है।
  • समष्टि अर्थशास्त्र का आकार/क्षेत्र बड़ा जबकि व्यष्टि अर्थशास्त्र का आकार/क्षेत्र छोटा है।

समष्टि अर्थशास्त्र और व्यष्टि अर्थशास्त्र के बारे में बताई गई जानकारी आपको कैसी लगी काॅमेंट बाॅक्स में जरूर बताएं और आप विषय के बारे में क्या समझते हैं वो भी बताना ना।

धन्यवाद।

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