Sangya in hindi

Sangya in hindi के बारे में विस्तृत जानकारी निम्नानुसार है।

हिंदी विषय में संज्ञा की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है इसलिए हम संज्ञा ( Sangya in hindi) के बारे में विस्तृत जानकारी बता रहे हैं।

संज्ञा का अर्थ :- संज्ञा का शाब्दिक अर्थ है ‘सम + ज्ञा’ अर्थात् सम्यक् ज्ञान कराने वाला अतः किसी भी वस्तु, व्यक्ति, स्थान, समूह, भाव, स्थिति इत्यादि का परिचय कराने वाले शब्दों को संज्ञा कहा जाता है।

संज्ञा की परिभाषा :- किसी व्यक्ति, वस्तु स्थान या उसके गुण-दोष को संज्ञा कहा जाता है।

नोट:- इस संसार में जो दिखाई देता है या नहीं, वो सभी उन पांच (किसी व्यक्ति, वस्तु स्थान या उसके गुण-दोष) तथ्यों के अन्तर्गत आता है। जिसे अपने उन्हें सामूहिक रूप से संज्ञा कहते हैं।

जैसे – मोहन बस के द्वारा जयपुर जाता है।

  • यहां मोहन एक व्यक्ति है ।
  • बस एक वस्तु है।
  • जयपुर एक स्थान का नाम है।

नोट :- गुण-दोष के बारे में जानकारी

मोहन पढ़ाई में अच्छा लड़का है जो हर समय मेहनत करता रहता है।

यहां अच्छा और मेहनत मोहन की विशेषता या गुण माने जाते हैं।

मीना एक डरपोक लड़की है जो आतंकवादियों से बहुत डरती है।

यहां डरपोक शब्द मीना के दोष या आलोचना बताता है।

Sangya in hindi

संज्ञा क्या है ? :- हिन्दी भाषा में जिस भी शब्द का प्रयोग किया जाता है वो शब्द किसी न किसी संज्ञा के पांच तथ्यों (किसी व्यक्ति, वस्तु स्थान या उसके गुण-दोष) की श्रेणी में सूचिबद्ध होता है ताकि यह पता चल सके कि कौनसा शब्द संज्ञा के किस श्रेणी मे सूचिबद्ध है ताकि उन शब्दों की पहचान आसानी से की जा सके।

हिन्दी में संज्ञा के प्रकार :- हिन्दी में संज्ञा के पांच प्रकार होते हैं – 

1.व्यक्तिवाचक संज्ञा (Proper noun)

2.जातिवाचक संज्ञा (Common noun)

3.भाववाचक संज्ञा (Abstract noun)

4.समूहवाचक संज्ञा (Collective noun)

5.द्रव्यवाचक संज्ञा (Material noun)

noun)

1.व्यक्तिवाचक संज्ञा (Proper noun) :- व्यक्तिवाचक संज्ञा के जिस शब्द से किसी विशेष व्यक्ति, वस्तु तथा स्थान के नाम का बोध हो उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं|

व्यक्तिवाचक संज्ञा के उदाहरण :-

व्यक्ति विशेष का नाम– मीना , रीना , टीना तथा सीला इत्यादि|

त्योहारों के विशेष नाम– होली, दिपावली, विजय दशमी, दशहरा , सावन तीज इत्यादि।

पर्वतो के विशेष नाम– हिमालय, विंध्यांचल, काराकोरम, सतपुड़ा , गारा खांसी आदि।

स्थान के विशेष नाम– दिल्ली, जयपुर, कोलकाता, मुंबई इत्यादि।

नदियों के विशेष नाम– संबल, यमुना, नील, ब्रह्मपुत्र, सतलुज, झेलम इत्यादि।

नोट :- व्यक्तिवाचक संज्ञा की विशेषता यह है कि 1. यह संसार में एक ही होती है जैसे ताजमहल, रामायण तथा गंगा ।

जातिवाचक संज्ञा (Common noun) :- जातिवाचक संज्ञा के जिस शब्द से एक ही जाति के अनेक प्राणिओ तथा वस्तुओ का बोध होता है उसे जातिवाचक संज्ञा कहते है ।

जातिवाचक संज्ञा के उदाहरण :- 

लड़की, लड़का, विद्यार्थी, डाक्टर, शिक्षक, महिला तथा पुलिस कुत्ता, नगर, पुस्तक, ईत्यादि ।

जातिवाचक संज्ञा एक वर्ग है और संसार में उसकी इकाईयों बहुत सारी होती है लड़का जातिवाचक संज्ञा है और दुनिया में लड़का वर्ग के अनेक लड़के विद्यमान हैं। जातिवाचक संज्ञा का आधार है – वस्तु आदि का ‘समान गुण’ पहले से देखें हुए कुत्तों, लड़कों, पहाड़ों, फलों ईत्यादि के समान गुणों के आधार पर किसी भी नए कुत्ते लड़कों, पहाड़ों, फल में वे गुण देखने पर उसे पहचान लेते हैं।

नोट :- दुनिया में व्यक्तिवाचक संज्ञा सिर्फ एक होती है लेकिन जातिवाचक संज्ञा अनेक होती हैं।

जातिवाचक संज्ञा के दो उप भेद होते हैं – 1. द्रव्यवाचक संज्ञा तथा 2. समूहवाचक संज्ञा।

द्रव्यवाचक संज्ञा (Material noun) :- द्रव्यवाचक  संज्ञा जिन्हे मापा या तौला जा सकता हैं, उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं। अर्थात् जिन संज्ञा शब्द से किसी धातु, द्रव्यमान पदार्थ का बोध होता हैं, उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहा जाता हैं। या

द्रव या पदार्थ का बोध कराने वाले शब्दों को द्रव्यवाचक संज्ञा कहते है

द्रव्यवाचक संज्ञा के उदाहरण :- जैसे बहने वाली वस्तु – पानी, तेल, घी आदि

पदार्थ की श्रेणी में आने वाली वस्तु:- मिट्टी, चीनी, तेल , सोना चांदी आदि।

नोट :- ऐसे पदार्थ जिसे मापा या तोला जाता है उसे द्रव्यवाचक संज्ञा की श्रेणी में रखा जाता है। जैसे- तांबा, होह, तेल, सोना, पानी आदि।

समूहवाचक संज्ञा (Collective nouns) :- ये संज्ञाएअनेक गणनीय संज्ञाओं के समूह से बनती है और ये एकवचन एवं बहुवचन दोनों रुपों में प्रयुक्त ह़ोती है।

नोट:- ये शब्द व्यक्ति के वाचक न होकर समूह या समुदाय के वाचक होते हैं। जैसे – सेना, कक्षा, मंडल, समिति, पुस्तकालय, परिवार, सभा तथ मोर्चा ईत्यादि।

व्यक्तिवाचक संज्ञा का जातिवाचक संज्ञा में परिवर्तन :- 

जब कोई व्यक्तिवाचक संज्ञा व्यक्ति विशेष का बोध न कराकर उसी व्यक्ति के गुणों-दोषों से युक्त अनेक व्यक्तियों के जाति का बोध कराती है, तब वह व्यक्तिवाचक संज्ञा न रहकर जातिवाचक संज्ञा बन जाती है। जैसे –

  • इन रावणों से बचो।
  • नेता जी के बलिदान से धरती पर अनेक सुभाष पैदा हो गए।
  • वह बिल्कुल हरिश्चंद्र है।

उपर्युक्त वाक्यों में रावण, सुभाष, और हरिश्चंद्र क्रमशः अधर्मियों, क्रांतिकारियों व सत्यवादियों के वर्ग के लिए प्रयुक्त हुए हैं इसलिए ये जातिवाचक संज्ञा बन गए हैं।

जातिवाचक संज्ञा का व्यक्तिवाचक संज्ञा के रूप प्रयोग :- जब कोई जातिवाचक संज्ञा सम्पूर्ण जाति का बोध न कराकर किसी व्यक्ति विशेष का बोध कराएं तो‌ वह जातिवाचक संज्ञा न रहकर व्यक्तिवाचक संज्ञा बन जाती है।

  • गांधी जी राष्ट्रपिता कहलाए – गांधी अनेक व्यक्तियों की जाति का नाम है किंतु यहां पर केवल ‘ महात्मा गांधी ‘ व्यक्ति विशेष से आशय है।
  • पंडित जी आधुनिक भारत के निर्माता थे।
  • नेता जी ने आजाद हिन्द फौज का गठन किया।

इन वाक्यों में गांधी जी, पंडित जी तथ नेता जी – किसी जाती विशेष के लिए प्रयुक्त न होकर क्रमशः महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सुभाष चन्द्र बोस व्यक्ति विशेष के लिए प्रयुक्त हुए हैं।

भाववाचक संज्ञा (Abstract noun) :- जिन शब्दों से व्यक्तियों/पदार्थों के धर्म, गुण, दोष, अवस्था, व्यापार, भाव, स्वभाव, अवधारणा, विचार आदि का बोध होता है, वे भाववाचक संज्ञा कहलाती है जैसे – 

भाववाचक संज्ञा न तो हम देख सकते और न ही छू सकते  केवल इंद्रियों द्वारा महसूस कर सकते है।

भाववाचक संज्ञा के उदाहरण- जवानी, गरीबी, लापरवाही, मेहनत, खुशी, भूख, प्यास, प्राण, अंहकार, कोमलता , बचपन, लंबाई, शत्रुता , सलाह, औचित्य, दासता, मित्रता ईत्यादि।

भाववाचक संज्ञा का बहुवचन  :- जातिवाचक संज्ञा की तरह ही भाववाचक संज्ञा का भी बहुवचन बनता है जैसे

बुराई– बुराइयों, दुरी – दुरियों, प्रार्थना – प्रार्थनाएं 

नोट :- ये शब्द भाववाचक संज्ञा के बहुवचन रूप है।

Sangya in hindi के बारे में विस्तृत जानकारी आपको कैसी लगी काॅमेंट बाॅक्स में जरूर बताएं।

Thank you so much for or reading sangya in hindi my this article.

2 thoughts on “Sangya in hindi

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!